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पुलवामा के वीर सपूत

डॉ. भगवान सहाय मीना
जयपुर, (राजस्थान)
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पुलवामा के वीरों से, घात करें थे घाटी में।
बैठे गोडसे दिल्ली में, जयचंद पावन माटी में।

गीदड़ पहुंचे शेरों तक, छल कर तेरी गोदी में।
हंसते-हंसते शहादत पाये, नगराज की चोटी में।

गंगा-यमुना चीख उठी, सिंदूर मिली जब माटी में।
भेंट चढ़ थी कितनी राखी, जन्नत तेरी छाती में।

बेबस बूढ़ी आंखें छलकी, इन वीरों की यादों में।
बिलख-बिलख मां रोई, उम्मीदे बिखरी लाशों में।

नन्हीं-नन्हीं परियां चीखी, सपने मिल गये माटी में।
हिंदुस्तानी धरती रोये, इन शेरों की शहादत में।

कदम उठा लो अंतिम, गोली दागो दुश्मन में।
अब मत खोजो मानवता, इन नरभक्षी गिर्द्धो में।

परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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