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वंदे मातरम

विमल राव
भोपाल म.प्र

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वंदे मातरम वेद मंत्र हैं
नित इसका उच्चार करें।

आओ भारत वासी मिलकर
भारत का जयकार करें॥

सूरज की पहली किरणे
जब वंदे मातरम गाती हैं।

मंदिर में घंटी बजती हैं
चिड़िये दाना खाती हैं॥

खुलते हैं विधा के मंदिर
पुस्तक पूजी जाती हैं।

मिलता हैं निस ज्ञान हमें
यहाँ मानव एक हीं जाति हैं॥

गुरु शिष्य की, परंपरा की
शिक्षा मिली, पुराणों से।

अडिग रहो, निशदिन पथ पर
कुछ सीखों, पेड़ पहाड़ो से॥

अनुशासित मय, हों जीवन यह
चलना सदपुरुषों, के पथ पर।

ले राष्ट्रभक्ति का, गौरव रथ
बढ़ना निस्वार्थ विजय पथ पर॥

परिचय :- विमल राव “भोपाल”
पिता – श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया।
निवास – भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र)
विशेष : कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव – अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र,
रचनाएँ : हम हिन्दुस्तानी, नई दुनिया, पत्रिका, नवभारत देवभूमि, दिन प्रतिदिन, विजय दर्पण टाईम, मयूर सम्वाद, दैनिक सत्ता सुधार में आए दिन लेख एवं रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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