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वन्दे मातरम्

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्।
वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्।
तालियाँ बजाओ बोलो वन्दे मातरम्,
खोलो दिल खोलो बोलो वन्दे मातरम्।।

भारतीयता का है परम प्रमाण सा ।
एकता का मूल मन्त्र है पुराण सा ।
दासता को बेधता अचूक बाण सा,
हिन्द की हवा में जिन्दगी के प्राण सा ।।

इसे गाने वाले कभी डरते नही ।
कोरा दम्भ थोथी बात करते नहीं।
अदम कदम कभी धरते नहीं,
बलिदान देते किन्तु मरते नहीं।।

फहराता तिरंगा भरे फरफर दम।
उसी निकलता है वन्दे मातरम् ।
इसीलिए कहता हूँ भर दम खम ।
एक साथ सभी बोलो वन्दे मातरम्।
वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्।।

वन्दे मातरम् का अर्थ चाहो जानना।
तो बताऊँ ये है शुद्ध राष्ट्र साधना ।
मादरे वतन सलाम की है भावना ,
मातृभूमि को प्रणाम की है कामना ।।

यही युक्ति देश की दशा सँवारती।
स्वर्ग से शहीद की ऋचा उचारती।
लोक को विलोकती प्रजा पुकारती,
यही है हमारी भारती की आरती।।

यही गंगा जल और आबे जमजम।
यही लोक साज मेरा यही सरगम।
यही गीत शोला और यही शबनम,
यही भार हीन किन्तु भारी भरकम।।
वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम् ।।

एक एक शब्द का सटीक अर्थ है।
बाकी राजनीतिक विवाद व्यर्थ है।
इसमें किसी का न कहीं अनर्थ है,
इनकलाब लाने में यही समर्थ है।।

भिन्नता में भाव भावना का ध्यान है।
जो भी है समान है समान मान है।
पूजापाठ घंटी क्या यही अजान है,
गीता गुरुग्रन्थ है यही कुरान है।

किसी से बड़ा न कोई छोटा कहीं कम।
तोड़ना ही होंगे हमें आपसी भरम।
इसीलिए बन्धु बाँधो बन्धुता परम।
जुड़ो और जोड़ो बोलो वन्दे मातरम्।।
वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम् ।।

मादरे वतन बना तो घोष कौन सा।
रोश दे रहा है तुझे तोष कौन सा।
लाइए बताइयेगा दोष कौन सा,
जिसमें लिखा विरोध कोष कौन सा।।

शोध कीजिएगा प्रतिशोध कीजिए।
आए अवरोध तो विरोध कीजिए।
बनो ना अबोध थोड़ा बोध कीजिए,
बोध वाली बात है न क्रोध कीजिए।।

आओआओ बोलो चाहे कहो कम कम।
खोलो दिल खोलो बोलो वन्दे मातरम्।
मैं भी बोलूँ तुम भी बोलो वन्दे मातरम्।
एक साथ सभी बोलो वन्देमातरम्।।
वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम् ।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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