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रचयिता : वन्दना पुणतांबेकर
अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ।
लाखो वीरो की कुर्बानी से।
कश्मीर लहू से लाल हुआ।
उन वीरो की कुर्बानी से
देखो चमन बाहर हुआ।
शंखनाद बज उठा भारत मे।
ऐसा वीर प्रताप हुआ।
सत्य सैलाब के लोकतंत्र से।
कश्मीर फिर गुल,गुलशन,गुल्फाम हुआ।
तिरंगे की आन,बान,शान,का।
लोकतन्त्र में भारत का सम्मान हुआ।
तिरंगे का गौरव महान हुआ।
अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ।
परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर
जन्म तिथि : ५.९.१९७०
लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख,
शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार,
प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोसा, विवशता, सलाम, पसीने की बूंद,
कविताएं :- वो सूखी टहनियाँ, शिक्षा, स्वार्थ सर्वोपरि, अमावस की रात, हायकू कविताएं राष्ट्र, बेटी, सावन, आदि।
प्रकाशन : भाषा सहोदरी द्वारा सांझा कहानी संकलन एवं लघुकथा संकलन
सम्मान : “भाषा सहोदरी” दिल्ली द्वारा
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