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अनछुए बिखरे पल

अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा

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हम चाहते हैं समेटना अपने इस आंचल में
अहसास के सारे अनछुए बिखरे हुए पल
उम्र के गुजरते हुए हर इक पड़ाव के संग
जीत औ हार के वो दरकते फिसलते पल

बचपन में उंचाई में खुद से ही उछाले हुए
उम्मीदों के वो पांच छोटे औ सख्त कंकड़
पुनः हथेली फैला वापस पा लेने की चाह में
बस जीत जाने की चाहत के वो अशेष पल।

बिदाई के वक्त व्यग्र पिता की शिक्षा को
जीवन के नवनिर्माण का आधार बनाकर
माँ के आंसू में मिले आशीष की झड़ी संग
बेहिसाब प्यार से सराबोर ममत्व के वो पल।

नवकोपल को अपनी गोद में अठखेलियाँ
करने की अनवरत चाहत संग संपूर्णता में
डूब कर अपना सर्वस्व न्यौछावर करके भी
वात्सल्य को देख प्रफुल्लित होने के वो पल।

उम्र के मध्याह्न में सहृदयता से स्वतंत्रचेता
अपनाते हुए स्व प्रश्न वाचक बन संयमित
स्वनुशासित होकर जीवन के उत्तरार्द्ध में
सूक्ष्मदर्शी बन शिवत्व को पाने के वो पल

अहसास के सारे अनछुए बिखरे हुए पल
जीत औ हार के वो दरकते फिसलते पल।

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परिचय :-  नाम : अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच
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