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अधूरा प्यार

अतुल भगत्या तम्बोली
सनावद (मध्य प्रदेश)

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रिमझिम बारिश में झूमती हुई सत्रह-अठारह की उम्र की एक बाला शायद उन्नीस बरस की उम्र में पहुँचे केशव के सपनों की रानी है। कभी अपने पैरों से पानी को उछालती तो कभी अपने दोनों हाथों को फैलाकर, बारिश की बूँदों का अपने चेहरे पर अहसास करते हुए मुस्कुराती हुई घूमती। दूर एक पेड़ के नीचे केशव खड़ा होकर उसे देख रहा है। उसका खुशी से झूमना, मुस्कुराना बच्चों की तरह कूदना उसे भा गया था। वो उस बाला को एक टक देख रहा है तभी अचानक बारिश तेज होने लगी बिजलियाँ कड़कने लगी। बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट से वह भयभीत हो गई और उसी जगह पहुँच गई जहाँ केशव खड़ा था। थरथराते हुए होंठ व काँपती हुई लड़की को देख केशव उससे कुछ कहना चाहता था। कुछ मिनटों के बाद ही वह उससे बात करने लगा। वह जानता है कि बातों बातों में उसका ध्यान कपकपाहट से परिवर्तित हो जाएगा और उसे उसका अहसास भी नही होगा। बारिश थी कि थमने का नाम ही नही ले रही थी लेकिन उन दोनों की बातें बढ़ती चली जा रही थी। उन्हें लग ही नही रहा था कि वो दोनों अनजान है। कभी वो खिलखिलाकर हँसती, कभी दुप्पटे से चेहरे पर आ रही पानी की बूँदों को पोछती। उसकी आवाज और अंदाज़ से केशव अब पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो चुका है। उसने लड़की का हाथ अपने हाथों में लिया, उसे चूमा और ये कहने के लिए कि उसे उससे प्रेम हो गया है! मुँह खोला ही था कि अचानक उसका सपना टूट गया। उसके सपनों की रानी फिर सपनों में कहीं खो गयी। ये सपना न जाने उसे क्या कह गया? सपने में भी केशव का प्यार अधूरा ही रह गया।

परिचय :- अतुल भगत्या तम्बोली
निवासी : सनावद, जिला खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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