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जमाने को समझो

संजय जैन
मुंबई

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कही गम है तो कही खुशी।
कही मोहब्बत तो कही तकरार।
कही मिलना तो कही बिछड़ना।
कही जिंदगी तो कही मौत।
बड़ा ही अजीब है
इस जमाने का दृश्य।।

जो जमाने को समझा
और उसी अनुसार ढल गया।
वो मानो मौज मस्ती से जी गया।
जो जमाने को नही समझा
वो चिंताओं के जाल में फंस गया।
और जिंदगी को अलग दिशा में ले गया।।

कलयुगी जमाने मे
सभी मतलबी नही होते।
कुछ तो कलयुग में भी
हटकर होते है।
माना कि आज का जमाना खराब है।
फिर भी कुछ रिश्ते तो
सतयुग जैसे होते है।।
इसलिए जमाने को देखो,
समझो और आगे बढ़ो।
फिर जो चाहोगे
वो मिल जाएगा।
और कलयुग में भी
इतिहास लिखा जाएगा।।

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लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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