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अब समझ आ रही है

रामकृष्ण शर्मा
गुलाबपुरा भीलवाड़ा (राजस्थान)
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ऑक्सीजन की कीमत
अब समझ आ रही है
काटे थे पेड़ धड़ल्ले से
अब धड़ल्ले से जान जा रही है

बहुत रह लिए शहर
अब गांव की याद आ रही है
बसाए बेहिसाब सामान
अब जिंदगी “बेड” पर
सिमटी जा रही है

समझते रहे खुद को शहंशाह
अब जीने में भी
मुश्किल नज़र आ रही है
जिंदगी हाथ में है हमारे
अब लापरवाही भारी
पड़ती जा रही है

परिचय :- रामकृष्ण शर्मा (व्याख्याता)
निवासी : गुलाबपुरा (भीलवाड़ा) राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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