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छतरी

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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आज आँख भर आईं
पिता की जब याद आई
बारिश की बूंदों ने
दरवाजे के पीछे टंगी
पिता की छतरी की
याद दिलाई.

संभाल कर रखी थी माँ ने
छतरी
नए जमाने के रेन कोट में
बेचारी छतरी की क्या बिसात.

मगर ये यादों के दर्द को
वो ही महसूस कर सकता
जिनके पिता अब नही है

बेजान छतरी बोल नही सकती
यादों में सम्मलित होकर
आंखों से आँसू छलकाने का
दम जरूर रखती है

जीवन की आपाधापी से
परे हटकर दो पल
अपनो को जरा याद कर देखे
क्योकि ये बेजान बाते नही है

यकीन ना होतो फोटो एलबम
के पन्ने उलट कर देखे
आंखों से आँसू ना झलकें
तो दुनिया और रिश्तों से
विश्वास उठ ही जाएगा

इसलिये अपनो की यादें
औऱ उनकी चीजो को
संभाल कर रखें
ये ही जीवन मे
उनके न होने पर
उनके होने का अहसास
ता उम्र तक कराती रहेगी
जैसे पिता की छतरी.

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
उद्घोषणा : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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