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उडती अफवाए

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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अफवाए भी उडती/उड़ाई जाती है
जैसे जुगनुओं ने मिलकर
जंगल मे आग लगाई
तो कोई उठ रहे कोहरे को
आग से उठा धुंआ बता रहा
तरुणा लिए शाखों पर उग रहे
आमों के बोरों के बीच
छुप कर बैठी कोयल
जैसे पुकार कर कह रही हो
बुझालों उडती अफवाओं की आग
मेरी मिठास सी कुहू-कुहू पर ना जाओं
ध्यान दो उडती अफवाओं पर
सच तो ये है की अफवाओं से
उम्मीदों के दीये नहीं जला करते
बल्कि उम्मीदों पर पानी फिर जाता
उठती अफवाहों से
अब ख्व्वाबों मे भी नहीं डरेगी दुनिया
इसलिए ख्व्वाब कभी अफवाह नहीं बनते
और यदि ऐसा होता तो अफवाए
मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, गिरजाघर से
अपनी जिन्दगी की भीख
भला क्यों मांगती?

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परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच


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