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रचयिता : कंचन प्रभा
मैं नही जानती कि
तुम कौन हो ?
कौन हो जिससे
मेरे जीवन की डोर बन्धेगी
पर तुम कहीं हो
यह मैं जानती हूँ
एक प्रतिबिम्ब सा
तुम भी यही सोचते होगे
वो कौन है
कौन है जिसके
पाश में मैं बँध जाऊंगा
पर वो कही है
यह मै जानता हूँ
एक परछाइ सी
हम दोनो नही जानतें कि
मेरे ‘तुम’ और तुम्हारी ‘वो’
कौन है और कहाँ है
पर हम दोनो जानते है कि
मेरे ‘तुम’ तुम हो
और तुम्हारी ‘वो’ मैं हूँ
फिर भी हम अजनबी हैं
तुम कौन हो ?
कौन हो जिससे
मेरे जीवन की डोर बन्धेगी
पर तुम कहीं हो
यह मैं जानती हूँ
एक प्रतिबिम्ब सा
तुम भी यही सोचते होगे
वो कौन है
कौन है जिसके
पाश में मैं बँध जाऊंगा
पर वो कही है
यह मै जानता हूँ
एक परछाइ सी
हम दोनो नही जानतें कि
मेरे ‘तुम’ और तुम्हारी ‘वो’
कौन है और कहाँ है
पर हम दोनो जानते है कि
मेरे ‘तुम’ तुम हो
और तुम्हारी ‘वो’ मैं हूँ
फिर भी हम अजनबी हैं
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लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार
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