वीणा वैष्णव
कांकरोली
********************
दो जून रोटी की खातिर,जान बाजी लगा रहा।
यह दुनिया एक रंगमंच,वह करतब दिखा रहा।
अपनों की परवाह उसे,दर-दर ठोकर खा रहा।
आएंगे शायद अच्छे दिन,इसी उम्मीद जी रहा।दो जून रोटी खातिर……………..
बड़े-बड़े बंगले देख,वो मन ही मन खुश हो रहा।
कितना सुकून होगा उसमें, वो नादान सोच रहा।
तभी किसी ने आवाज लगाई, काम करोगे क्या।
मीठे सपनों से जागा,जी आया हुकुम कह रहा।दो जून रोटी की खातिर………….
दो जून रोटी के खातिर, वह कितना तरस रहा।
रोटी चीज नहीं है छोटी,महत्व अब समझ रहा।
अपने बच्चों के आंसू देख,वो खून आंसू रो रहा।
गरीब होने की सजा,देखो बहुत ज्यादा पा रहा।दो जून रोटी खातिर ……………
अपना देश छोड़, रोटी तलाश विदेश जा रहा।
लाखों व्यर्थ लूटा देंगे, गरीब न कोई सुन रहा।
सारे गुनाह इसी के पीछे, वह मासूम कर रहा।
कहे वीणा दो जून रोटी लिए,जहा भटक रहा।दो जून रोटी खातिर………………
.
परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…