अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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प्रणमामि आदि अनादि सदा
हे नाथ श्री वल्लभ वासुदेवा
अगम्य अगोचर विशेश्वर वराह
वमन मत्स्य कश्यप रूप धरा
चरण गंग साजे कंठम स्वरा..
हे नाथ श्री वल्लभ वासुदेवा..
राम मनोहर परशु बुद्ध रूपम्
सूर्यम् मयंक पावक प्रकाशम्
दुःख पाप नाशी क्षीरं निवासी
सदा भक्ति प्रीतम् प्रियम् अक्षरा
हे नाथ श्री वल्लभ वासुदेवा
वीरम च धीरम मिथक दोष घातम
भवसिंधु तारम् वरण बृंदिका
अधर देह सुन्दर भुजा चार धारम्
कल्याणकारी असुर मर्दणा
हृदय कुञ्ज स्वामी गौ पूजयामि
त्वदीयं नमामि चरण वंदना
प्रणमामि आदि अनादि सदा
हे नाथ श्री वल्लभ वासुदेवा
सवैया –
हम तो हरि मूरख देख के मूरत रीझत गावत आन पड़े..
यह नेह भी देह भी केवल रेह सी श्री चरणों में आन धरे
मुस्कान की तान के तीर किये गंभीर हिय जब आन धसे
तुम एक हमें हर एक से प्यारे बोलो प्रमाणित कैसे करें
यह नेह भी देह भी केवल रेह सी श्री चरणों में आन धरें
दोहा –
अनुपम प्रेम तुम्हार यह, राम नाम चित जोय।
नव परिभाषा प्रीत की, मन बैरागी होय।।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
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