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असली रंग

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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आज सोमेश जैसे ही ऑफिस से घर पहुँचा सीमा ने कहा चाय रेडी है पहले आप फ्रेश हो जाओ फिर बुलबुल को आज रंग गुलाल दिला लाना कब से यही रट लगाये बैठी है सोमेश ने कहा ठीक है बुलबुल से कहो रेडी होने मैं ले चलता हूं उसे। बुलबुल झट से तैयार हो कर आ गयी और बहुत खुश नजर आ रही थी। सोमेश बुलबुल के साथ मार्केट गये। वहाँ उसने बुलबुल की पसंद का सारा सामान खरीदा पर सोमेश ने एक बात नोटिस
किया कि बुलबुल जो भी सामान लेती पापा एक और प्लीज कहकर सारा सामान का एक और सेट खरीद लिया और अलग-अलग कैरी बेग में रख लिया। लौटते वक्त पापा ने देखा कि आज बुलबुल बहुत खुश लग रही थी और उसे खुश देखकर पापा भी खुश थे। घर पहुँच कर सोमेश ने सीमा से कहा- पता है आज हमारी बुलबुल बहुत खुश है उसने सारा रंग गुलाल पिचकारी मास्क और भोपू के दो-दो सेट खरीदे हैं।
इसी बीच बुलबुल एक कैरी बेग लेकर दौड़ते हुए पीछे सर्वेँट क्वाटर की ओर गयी। पीछे से सोमेश और सीमा आवाज देते हुए अरे बुलबुल सुनो तो क्या हुआ? कहाँ जा रही हो? जब तक उस तक पहुंचते सीमा और सोमेश ने देखा सर्वेँट क्वाटर में रहने वाली उषा ताई की बेटी महुआ जो बुलबुल की हम उम्र थी उसे कैरी बेग पकड़ा कर कहा ये ले महुआ ये मै तेरे लिए लायी हूँ।अब हम मिल कर खूब मस्ती करेँगे अब तो तू खुश है न…!
सोमेश और सीमा ने आज बुलबुल के चेहरे पर सहयोग सद्भावना और सहानूभूति का एक नया रंग देखा था। और महुआ के चेहरे पर खुशी के रंग। सोमेश और सीमा ने एक दूसरे को देखा और ऐसा लगा जैसे कह रहे हों कि होली का असली रंग तो यही है…….!!

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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