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रचयिता : डॉ. अर्चना राठौर “रचना”
देकर श्रद्धाँजलि, दी सु-षमा को शमा
धरती माँ है बहुत उदास,
पर है आकाश भी उदास |
खो दिया है आज उसको ,
देती थी जो सबको आस |
भारत माँ का थी अभिमान,
देश की थी आन और बान |
सीता चरित्र ,नारी की शान,
करते सब जिसका सम्मान |
दहाड़ती जब शेरनी सी ,
हो सदन में खलबली सी |
वो बोलतीं बेबाक थीं जब ,
सब देखते अवाक् थे तब |
ज्ञान की भंडार थी वो ,
संस्कृति का मान थी जो |
वक्तव्य भिन्न भाषाओं में ,
करती विदेश जाती थीं तो
है नभ रो रहा,धरा भी रो रही ,
बिटिया तो चिर निद्रा सो रही|
अब तो नदियां सी हैं बह रहीं ,
यहाँ-वहाँ नयनों से हर कहीं |
करते हम सलाम उनको ,
देकर सब सम्मान उनको |
ह्रदय से सुमन अर्पित कर,
हार्दिक श्रद्धाँजलि उनको |
लेखिका परिचय :-
नाम – डॉ. अर्चना राठौर “रचना” (अधिवक्ता)
निवासी – झाबुआ, (म.प्र.)
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