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वृक्ष की तटस्था

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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हे ईश्वर
मुझे अगले जन्म में
वृक्ष बनाना
ताकि लोगों को
ओषधियाँ, फल-फूल
और जीने की प्राणवायु दे सकूँ।

जब भी वृक्षों को देखता हूँ
मुझे जलन सी होने लगती
क्योकि इंसानों में तो
अनैतिकता घुसपैठ कर गई है ।

इन्सान-इन्सान को
वहशी होकर काटने लगा
वह वृक्षों पर भी स्वार्थ के
हाथ आजमाने लगा है।

ईश्वर ने
तुम्हे पूजे जाने का
आशीर्वाद दिया
क्योंकि
बूढ़े होने पर तुम
इंसानों को चिताओ पर
गोदी में ले लेते
शायद ये तुम्हारा कर्तव्य है।

इंसान चाहे जितने हरे
वृक्ष-परिवार उजाड़े
किंतु वृक्ष तुम
इंसानों को कुछ देते ही हो।

ऐसा ही दानवीर
मै अगले जन्म में
बनना चाहता हूँ
उब चूका हूँ
धूर्त इंसानों के बीच
स्वार्थी बहुरूपिये रूप से।

लेकिन वृक्ष तुम तो
आज भी तटस्थ हो
प्राणियों की सेवा करने में।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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