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प्रसाधन

धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)

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हैरान है, परेशान है
क्या करें, क्या न करें
इसी ऊहापोह में
कुछ सहायता मिल जाये
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है।

छोटे लोगो की
छोटी समस्याएं
लगती उन्हें पर्वत सी
हो निदान शीघ्रता से
इसी आशय से
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है।

सीमांत किसान
अंत के करीब
दिहाड़ी मजदूर
दहाड़े मारता
जिनके आँसू
छुप जाते है
पसीने में,
मिले कुछ राहत
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है।

जिले से शुरू परिक्रमा
राजधानी तक पोहच
कर भी, अंतहीन है
करने अंत उसका
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है।

इन्हें सुना, उन्हें सुना
सुना-सुना कर
काम भले ही न हुआ
पर मन हल्का हो गया
बताने ये बात
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है।

कितनी भग्यशाली व
ऐश्वर्य लिए है
साहब की बाथरूम
जो निरंतर उन्हें सुख दे
सानिध्य पाती है
साहब के बाथरूम
से भी छोटे
घरों में रहने वाले क्या जाने
कितना सुख बाथरूम में है।

एक हम है
जो निकलते है अपनी
बाथरूम से, समस्या सोच कर
दूसरे दिन प्रातः
उसी अनसुलझी समस्या
के साथ होते है अपनी
बदनसीब बाथरूम में।
दोष हमारा नही
दोष हमारे बाथरूम में है।

परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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