Friday, November 15राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

आज का रावण

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.)

********************

कौन कहता है?
रावण हर साल मरता है,
सच मानिए रावण हर साल
मरकर भी अमर हो रहा है।
देखिए न आपके चारों ओर
रावण ही रावण घूम रहे हैं,
जैसे राम की विवशता पर
अट्टहास कर रहे हैं।
ये कैसी विडंबना है कि
मर्यादाओं में बँधे राम विवश हैं,
कलयुगी रावण
उनका उपहास कर रहे हैं।
हमारे हर तरफ
लूटपाट, अनाचार, अत्याचार,
भ्रष्टाचार, अपहरण, हत्या,
बलात्कार भला कौन कर रहा है?
ये सब कलयुग के
रावण के ही तो सिपाही हैं।
अब तो लगता है कि
रावण के सिपाही सब
जाग रहे हैं,
तभी तो वो मैदान मार रहे हैं।
रक्तबीज की तरह
एक मरता भी है तो
सौ पैदा भी तो हो रहे हैं।
जबकि राम के सिपाही
या तो सो रहे हैं
या फिर रावण के कोप से
डरकर छिप गये हैं,
तभी तो राम भी
लड़ने से बच रहे हैं।
आज का रावण अब सीता का
अपहरण नहीं करता, छीन लेता है,
मुँह खोलने पर मौत की धमकी देता है।
तभी शायद आज के राम भी
थर थर काँप रहे हैं,
सीता के खोने का गम
चुपचाप सह रहे हैं।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
पैतृक निवास : ग्राम-बरसैनियां, मनकापुर, जिला-गोण्डा (उ.प्र.)
वर्तमान निवास : शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव जिला-गोण्डा, उ.प्र.
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई.,पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
साहित्यिक गतिविधियाँ : विभिन्न विधाओं की कविताएं, कहानियां, लघुकथाएं, आलेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि का १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन।
सम्मान : एक दर्जन से अधिक सम्मान पत्र।
विशेष : कुछ व्यक्तिगत कारणों से १७-१८ वषों से समस्त साहित्यिक गतिविधियों पर विराम रहा। कोरोना काल ने पुनः सृजनपथ पर आगे बढ़ने के लिए विवश किया या यूँ कहें कि मेरी सुसुप्तावस्था में पड़ी गतिविधियों को पल्लवित होने का मार्ग प्रशस्त किया है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *