📜««« आज का पञ्चांग »»»📜
कलियुगाब्द…………………..५१२१
विक्रम संवत्………………….२०७६
शक संवत्…………………….१९४१
मास………………………….भाद्रपद
पक्ष…………………………….शुक्ल
तिथी…………………….. …..चतुर्थी
रात्रि ०१ .५६ पर्यंत पश्चात पंचमी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय………..प्रातः ०६ .०९ .४१ पर
सूर्यास्त………..संध्या ०६ .४३ .३८ पर
सूर्य राशि………………………..सिंह
चन्द्र राशि………………………कन्या
नक्षत्र…………………………….हस्त
प्रातः ०८ .३० पर्यंत पश्चात चित्रा
योग…………………………….शुक्ल
रात्रि ०१ .५८ पर्यंत पश्चात ब्रह्मा
करण………………………….वणिज
दोप ०३ .२६ पर्यन्त पश्चात विष्टि
ऋतु……………………………..वर्षा
दिन………………………….सोमवार
🌞 उदय लग्न मुहूर्त :-
सिंह
०५ :०४ :५६ ०७ :१६ :४९
कन्या
०७ :१६ :४९ ०९ :२७ :३४
तुला
०९ :२७ :३४ ११ :४२ :१३
वृश्चिक
११ :४२ :१३ १३ :५८ :१३
धनु
१३ :५८ :१३ १६ :०३ :२५
मकर
१६ :०३ :२५ १७ :४९ :५६
कुम्भ
१७ :४९ :५६ १९ :२२ :४९
मीन
१९ :२२ :४९ २० :५३ :१९
मेष
२० :५३ :१९ २२ :३३ :२१
वृषभ
२२ :३३ :२१ २४ :३१ :२६
मिथुन
२४ :३१ :२६ २६ :४४ :५१
कर्क
२६ :४४ :५१ २९ :०० :५९
🇬🇧 आंग्ल मतानुसार :-
०२ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी
🍃 तिथि विशेष :-
हरितालिका तीज –
हरतालिका व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस दिन गौरी-शंकर का पूजन किया जाता है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है। इसे सभी कुआंरी युवतियां तथा सौभाग्यवती महिलाएं ही करती हैं।
इस संबंध में हमारे पौराणिक शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा दी गई है। इस व्रत को ‘हरतालिका’ इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। ‘हरत’ अर्थात हरण करना और ‘आलिका’ अर्थात सखी, सहेली।
इसी त्योहार को दूसरी ओर बूढ़ी तीज भी कहा जाता हैं। इस दिन सास अपनी बहुओं को सुहागी का सिंधारा देती हैं।
इस व्रत को करने से कुंआरी युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं । इस वर्ष तृतीया तिथि के क्षय के कारण सम्पूर्ण देश में दो दिनों तक हरतालिका तीज का व्रत मनाया गया ।
📜 भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी :-
श्री भादव गणेश चतुर्थी :-
शिवपुराणके अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपालबना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर!तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्यदेकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्षपर्यन्तश्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-
‘सिहः प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥’
गणेशोत्सव का वर्तमान स्वरुप :-
पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। कहते हैं कि पुणे में कस्बा गणपति नाम से प्रसिद्ध गणपति की स्थपना शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने की थी। परंतु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणोत्सव को को जो स्वरूप दिया उससे गणेश राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बन गये। तिलक के प्रयास से पहले गणेश पूजा परिवार तक ही सीमित थी। पूजा को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय उसे केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि आजादी की लड़ाई, छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित करने तथा आम आदमी का ज्ञानवर्धन करने का उसे जरिया बनाया और उसे एक आंदोलन का स्वरूप दिया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने १८९३ में गणेशोत्सव का जो सार्वजनिक पौधरोपण किया था वह अब विराट वट वृक्ष का रूप ले चुका है। वर्तमान में केवल महाराष्ट्र में ही ५० हजार से ज्यादा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में काफी संख्या में गणेशोत्सव मंडल है।
👁🗨 राहुकाल :- (अशुभ) :-
प्रात: ०७ .४६ से ०९ .१९ तक ।
☸ शुभ अंक………………..२
🔯 शुभ रंग………………लाल
👁🗨 अभिजीत मुहूर्त :-
दोप १२ .०१ से १२ .५१ तक ।
👁🗨 गुलिक काल :-
दोप ०१ .५९ से ०३ .३३ तक ।
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ चौघडिया :-
प्रात: ०६ .१२ से ०७ .४५ तक अमृत
प्रात: ०९ .१८ से १० .५२ तक शुभ
दोप. ०१ .५८ से ०३ .३२ तक चंचल
अप. ०३ .३२ से ०५ .०५ तक लाभ
सायं ०५ .०५ से ०६ .३९ तक अमृत
सायं ०६ .३९ से ०८ .०५ तक चंचल ।
📿 आज का मंत्र :-
॥ ॐ महामनसे नमः॥
📯 संस्कृत सुभाषितानि :-
विद्याविहीना बहवोऽपि पुत्राः
कल्पायुषः सन्तु पितुः किमेतैः ।
क्षयिष्णुना वापि कलावता वा
तस्य प्रमोदः शशिनेव सिन्धोः ॥
अर्थात :
चंद्र क्षयरोग से पीडित है, फिर भी कलावान होने से समंदर को आनंद होता है । वैसे हि एखाद भी गुणवान पुत्र से पिता को आनंद होता है, परंतु, विद्याविहीन अनेक दीर्घायु पुत्र होने से पिता को क्या ?
🍃 आरोग्यं :-
रामबाण गिलोय
बुखार में गिलोय का इस्तेमाल –
गिलोय से किसी भी तरह के बुखार का इलाज संभव है। इसके लिए गिलोय के एक फुट लंबे तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर उसे रातभर चार कप पानी में भिगोएं और सुबह उबाल लें। जब काढ़ा चार कप से एक कप हो जाए, तो उसे छन्नी से छान लें। इस काढ़े को आधा कप सुबह और आधा कप शाम में पिएं। ऐसा करने से तीन से सात दिनों के अंदर बुखार उतर जाएगा।
⚜ आज का राशिफल :-
🐏 राशि फलादेश मेष :-
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
एकाएक स्वास्थ्य खराब हो सकता है, लापरवाही न करें। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। व्यर्थ दौड़धूप होगी। विवाद से स्वाभिमान को चोट पहूंच सकती है। काम में मन नहीं लगेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें।
🐂 राशि फलादेश वृष :-
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। लाभ देगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में जल्दबाजी न करें। लाभ होगा।
👫 राशि फलादेश मिथुन :-
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
फिजूलखर्ची ज्यादा होगी। शत्रु भय रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नए काम करने का मन बनेगा। दूर यात्रा की योजना बनेगी। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में चैन रहेगा। जोखिम न लें।
🦀 राशि फलादेश कर्क :-
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि अपमान हो। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल रहेगा। निवेश सोच-समझकर करें। नौकरी में चैन रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा।
🦁 राशि फलादेश सिंह :-
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
नौकरी में अधिकार मिल सकते हैं। सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्य संबंधी चिंता बनी रहेगी। आशंका व कुशंका रहेगी। कार्य में बाधा संभव है। उत्साह बना रहेगा।
👩🏻🦰 राशि फलादेश कन्या :-
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
विवेक का प्रयोग करें। समस्याएं कम होंगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।
⚖ राशि फलादेश तुला :-
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। धनहानि हो सकती है। सावधानी आवश्यक है। थकान महसूस होगी।
🦂 राशि फलादेश वृश्चिक :-
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पार्टनरों से कहासुनी हो सकती है। भागदौड़ होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। लाभ के लिए प्रयास करें।
🏹 राशि फलादेश धनु :-
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
घर के छोटे सदस्यों संबंधी चिंता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।
🐊 राशि फलादेश मकर :-
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। किसी जानकार व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।
🏺 राशि फलादेश कुंभ :-
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ने के योग हैं। कोई बड़ी समस्या का अंत हो सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लेन-देन में सावधानी रखें।
🐡 राशि फलादेश मीन :-
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
कोई बड़ा खर्च एकाएक सामने आएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। कुसंगति से बचें। किसी व्यक्ति के काम की जवाबदारी न लें। स्वयं के काम पर ध्यान दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा। कार्यकुशलता कम होगी।
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।
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