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आज का नेता

राजेन्द्र यादव
सरैंया, नरोसा जनपद- लखनऊ

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कुर्सी के ही लिए यहां पर सब हथकंडे होते हैं।
नारेबाजी शोर शराबे बैनर झंडे होते हैं।

लोकतंत्र की मर्यादा की उनको है परवाह नहीं।
जिनकी काली करतूतों से जनता है आगाह नहीं।

जनता की नजरों में इनकी लंबी-लंबी खाईं है।
बांट बराबर खाने वाले सब मौसेरे भाई हैं।

बड़े निराले कर्म है इसके गिरगिट हैं मंडूक यही।
परे बुद्धि से जानों इनको गोली हैं बंदूक यही।

संघर्ष सदन का नाता है केवल जनता की हमदर्दी।
छुट्टे सांड़ राजनीति के करते हैं गुंडागर्दी।

जनसेवक हैं बड़े देश के बेतन एक रुपैया है।
उपहारों में सोना चांदी धन की आमद गैया है।

स्वर्ण पात्र में मदिरा ऊपर पावनता में गंगे हैं।
सातों के सम्राट अहाते लुच्चे और लफंगे हैं।

जोड़ तोड़ उपकरण सजाते राजनीति की खेती में।
मरुस्थल में नीर बहाए भीति उठाए रेती में।

भृष्ट आचरण के जनसेवक हैं हमको स्वीकार नहीं।
नहीं हमारा कोई रिश्ता जिसे देश से प्यार नहीं।

आजादी है अभी अधूरी संचित हम अधिकारों से।
मुक्त नहीं जबतक है शासन सत्ता के गद्दारो से।

नहीं अपेक्षा अमन चैन की लोकतंत्र हत्यारों से।
सावधान सबको रहना है सिंह त्वचा के सरदारों से।

आज देश के शासन को वे पाक बनाना चाह रहे।
वोट नहीं बंदूक के बल पर धाक बनाना चाह रहे।

राजेंद्र देश के शासन में ये कभी नहीं हो पायेगा।
आतततायी भृष्टाचारी सीधा यमपुर जायेगा।

परिचय :- राजेन्द्र यादव
पिता : स्व. महावीर प्रसाद यादव
सम्प्रति : शिक्षक
निवासी : ग्राम- सरैंया, नरोसा जनपद- लखनऊ
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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