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आज का दौर महान

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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आज का दौर कुछ अलग तरह का है।
न इसमें रिश्ते और न अपनापन बचा है।
चारो तरफ शोर सरावा और दिखावा है।
होड़ लगी है सबमें हम सबसे श्रेष्ठ है।।

मैं अपने में पूर्ण नहीं हूँ ये मुझे पता है।
होड़ाहोड़ी में पढ़कर गलत कर जाता हूँ।
फिर दुख बहुत होता है पर क्या करें।
कलयुग में सबकी अपनी चिंताएं है।।

बैठ शांत भाव से जब सोचा करते थे।
तब मन में सदा अच्छे भाव आते थे।
और सभी संगठित होकर साथ रहते थे।
इसलिए समाज का बजूत होता था।

कहने करनी में कितना अंतर आया है।
कहकर मुकर जाए ये पाठ पढ़ा है।
जब भी मौका मिला ऐसे लोगों को।
तो सस्ती लोक प्रियता हासिल की है।
पर कुछ दिनोंमें इनकी लंका जली है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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