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आज पुनः

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)
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आज पुनः फैल रही है
कोरोना वायरस की महामारी।
चीत्कार फिर मच रही
मानवता पर संकट भारी।
समसान में धधक रही है
चिताओ की ज्वाला भारी।
अर्थव्यवस्था जो पटरी पर थी
छीन भिन्न हो रहा है सारी।
पूरे विश्व मे कोहराम मची है
फिर फयल रही है महामारी
नित नवीन वैक्सीन बनी फिर
फिर भी मानवता पर यह संकट भारी
सूरदास, रैयदश आदि संतो ने,
देख लिया था दिव्य दृष्टि से
मानवता की यह दुर्दिन सारि
योग क्षेम प्रणायाम से ही
मिट सकेगी यख दूर दिन सारि
मानव ही है इसके जड में
मानवता पर संकट भारी
वुहान लैब में दुसट चीन ने
रच डाली यह कुचक्र सारि
हाहाकार सर्वत्र मची है
यह संकट अति विस्मय करि।

परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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