Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सत्य कहूँ तो जग छूटे

अशोक शर्मा
कुशीनगर, (उत्तर प्रदेश)
********************

सत्य कहूँ तो जग छूटे,
अपने अपनों से रूठे।

सीख न पाए हम,
मीठे झूठ का हुनर।
कड़वे सत्य बोलूं,
तो अपने हमसे रूठे।
सत्य कहूँ…

सांच पड़ गया भारी,
छीना बहुत से रिश्ते।
जो मेरे अजीज थे,
दिल हमसे उनके टूटे।
सत्य कहूँ…

हुआ बन्द बटुए में,
जो बोला था सच।
एकटक स्वयं को देखूं,
नेत्र भरे दम भी घूटे।
सत्य कहूँ…

कहूँ साँच अकेले ही,
नहीं दे पाता प्रमाण।
बाहुल्यता जिसकी रही,
उसमें बने हम झूठे।
सत्य कहूँ…

जो आंखों ने देखा,
पर नहीं देखा किसी ने।
उस जघन्य को कैसे कहूँ,
सोच अन्तः अश्रु फूटे।
सत्य कहूँ …

मैंने सोचा चौबीस कैरट,
होता है एकदम खरा।
पर समाज में चल रहा,
मिलावट के बलबूते।
सत्य कहूँ…

सत्य विजय पाता है,
इतिहास इसका गवाह।
अंत समय तक सत्य कहूँगा,
चाहे दुनिया हमको लूटे।
सत्य कहूँ …

परिचय :अशोक शर्मा
निवासी : लक्ष्मीगंज, कुशीनगर, (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *