सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
********************
नेताजी गहन वार्तालाप मेँ व्यस्त थे, तभी उन के व्यक्तिगत सहायक ने उन्हे याद दिलाया कि उन्हे एक सार्वजनिक कार्यक्रम मेँ वनो की मह्त्ता व उनके समग्र विकास पर एक परिचर्या के लिये जाना है नेताजी परिचर्या मेँ पहुंचे व उनकी बारी आने पर, वनोँ के विनाश, वन महोत्सव की उपयोगिता पर अपने विचार रखे। भारत मेँ लगातार हो रहे औद्योगिक विकास की भेँट चढ रहे वनो के विनाश, आदिवासियोँ के पलायन, दुर्दशा पर उनका भाषण इतना ओजस्वी एवँ भावना पूर्ण था कि लग रहा था कि वे अब रोये कि तब रोये उनका दावा था कि यदि उचित माध्यम से तथा सभी के सहयोग से अगर वनोँ के विनाश को रोकने, वनो मेँ अनवरत पौधा रोपण करने, उनकी निरँतर देखभाल करने, तथा वनोँ की सुरक्षा के बारे मेँ समग्र प्रयास कि जायेँ तो वनोँ की घटती सँख्या पर काबू पाया जा सकता है उनहोंने जनता से अपील की अपने घर के खिडकी दरवाजे चोखट, फर्निचर आदि लकडी के न बनवायेँ व उनके स्थान अल्यूमिनीयम से बने चोखट, खिडकी के फ्रेम आदि का उपयोग करेँ तथा माडुलर फर्निचर खरीदेँ। उन्होनेँ वनोँ की एवँ वनवासियोँ की दुर्दशा पर काफी अफसोस जाहिर किया तथा वनोँ का विकास होगा तो, आदिवासियोँ का पलायन रुकेगा, विलुप्त हो रहे जानवरोँ की संख्या बढेगी, वन ओषधीयाँ उपलब्ध हो सकेगी, वनोँ की सीमा बढेगी तो भूमी का कटाव रुकेगा, बारिश हम पर मेहरबान होगी, तथा उसके फलस्वरूप खेतोँ मेँ अधिक अनाज़ पैदा होगा, व किसान खुशहाल होगा व देश प्रगति करेगा। भारत माता की जय, जय हिंद कहने के साथ ही उन्होनेँ ने अपने उदगार को विराम दिया तालियोँ की गडगडाहट से सारा हाल गूँज उठा।
भाषण समाप्त कर नेताजी खुशी खुशी अपने बँगले पर आये, उनकी श्रीमती ने कहा कि बच्ची की शादी मेँ काफी सामानोँ की खरीदी तो की जा चुकी है पर अभी फर्नीचर खरीदना है। नेताजी का पी ए बगल ही मेँ खडा था उसने सलाह दी की आज कल तो माडूलर फर्नीचर का जमाना है तो यह खरीदना है क्या? नेताजी ने तुरँत कहा कि तुम्हारा क्या दिमाख खराब हो गया है जो हमेँ ऐसी सलाह दे रहे हो? माडुलर फर्नीचर देकर हमेँ अपनी नाक नही कटवानी है। आप तुरँत सागोन की लकडी का ही फर्नीचर बनवाने की व्यवस्था करेँ।
कार्यालय पहुँचने पर उनके सामने एक फाईल रखी थी जिसमेँ उन्हे एक वनाच्छादित प्रदेश मेँ लगने वाले एक खनिज खदान को शुरु करने के लिये अपनी स्वीकृती देनी है, नेताजी बडे पेशोपेश मैँ पडे कि अगर स्वीकृती देते हैँ तो वनोँ की कटाई को रोका नहीँ जा सकता, वन्य प्राणियोँ के प्राकतिक आवास उजडने, भूमी कटाव बढने तथा वनवासियोँ/आदिवासियोँ का पलायन भी न रुक पायेगा। उनके सामने आज दिये गये भाषण के शब्द गूँजने लगे, उन्होने काफी सलाह मशविरा अपने वरिष्ठ अधिकारीयोँ एवं अन्य स्टाफ से भी किया, तथा एस निश्कर्ष पर पहुँचे कि राष्ट्रहित सर्वोपरी है, और खनिज खदान से होने वाले दीर्घकालीन लाभोँ को मद्देनज़र रखते हुए उन्होने उस वनाछादित प्रदेश मेँ लगने वाले उद्योग की फाईल पर अपनी स्वीकृती दे दी। इस खबर को सुनकर उन के अन्य साथियोँ ने उनके निर्णय की बहुत सराहना की, खनिज विभाग के अधिकारी/कर्मचारी तथा खनिज खदान से सँबँधित लोगोँ की शहर के पंचसितारा होटल मेँ एक भोज का आयोजन भी हुआ जिसमेँ हमारे माननीय नेताजी ने भी शिरकत की। वनवासियोँ/आदिवासियोँ पर दूख: का पहाड टूट पडा क्योंकि उनके समक्ष विस्थापन का सर्प फन फैलाये जो बैठा था, पर क्या करेँ, होट्ल मेँ हो रहे भोज, एवं सँगीत के शोर मेँ, नक्कार खाने मैँ तूती की आवाज किसे सुनाई दे रही है।
.
लेखक परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्तक लोक व्दारा, प्रकाशित पुस्तक गीत सिंदुरी हुये (गीत सँकलन) मेँ प्रकाशित हुये हैँ.
संप्रति :- भारतीय स्टेट बैंक, से सेवा निवृत्त अधिकारी
निवासी :- भोपाल म.प्र.
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…