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समय रास्ता दिखायेगा

विवेक रंजन ‘विवेक’
रीवा (म.प्र.)

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समय रास्ता दिखायेगा
साँझ ढलती है
उसे ढलने दो,
नियति छलती है
तुम्हें छलने दो।
बुझते दीपों
और टूटे तारों को
सुबह का ख्वाब समझकर
दिलों सें पलने दो।
चलने दो अपनी राह
अपने सपनों को,
काँटे बनेंगे फूल
इक दिन दर्द
खुद मिट जायेगा।
ये समय ही
नयी सुबह का
रास्ता दिखायेगा।

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परिचय : विवेक रंजन “विवेक”
जन्म –१६ मई १९६३ जबलपुर
शिक्षा- एम.एस-सी.रसायन शास्त्र
लेखन – १९७९ से अनवरत…. दैनिक समय तथा दैनिक जागरण में रचनायें प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में इनका पहला उपन्यास “गुलमोहर की छाँव” प्रकाशित हुआ है।
सम्प्रति – सीमेंट क्वालिटी कंट्रोल कनसलटेंट के रूप में विभिन्न सीमेंट संस्थानों से समबद्ध हैं।


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