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वक़्त अपना

रवि चौहान
आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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वक़्त अपना मुझपे जाया क्यों करते हो।
देते हो सारा वक़्त जिसे,
यह वक़्त उसे छुपाया क्यों करते हो।
जब नहीं रहा प्यार दरमियान हमारे,
उसे निभाया क्यों करते हो।
बदल गये हो, कहता है ज़माना, फिर नहीं
बदलने का ढोंग रचाया क्यों करते हो।
माना बहोत की गलतियां मैंने,
तुम अपनी गलतियां छुपाया क्यों करते हो।
ये जमाना बहोत बेदर्द है,
बता दर्द मेरा ज़माने को रुलाया को करते हो।

परिचय :- रवि चौहान
निवासी : आजमगढ़ (शेखपूरा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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