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बांध लिए पग में घुंघरू

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रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर

मैंने बांध लिए पग में घुंघरू,
ये सारा जहां ही बहका रे ।
जब याद में तेरे नाच उठी,
सारा ही गुलिस्तां महका रे।।…
मेरे अंतर्मन के तारों में,
प्रिय, तूने छेड़ा राग नया ।
धड़कन कुछ गति तेज हुई,
अनुराग  सिहर फिर जाग गया।।
चाहत का पंछी निकल पड़ा,
सारी रात का आलम चहका रे…।
मैंने बांध लिए पग में घुंघरू ..
ये सारा जहां ही बहका रे…।।
मैंने अधरों पर नाम लिया,
वीणा से स्वर  सप्तक फूटे।
मेरी मांग सजाने को आतुर,
अंबर से तारे आ  टूटे ।।
तेरी याद में टपके जब आंसू,
सारा मधुबन ही दहका रे… ।
मैंने बांध लिए पग में घुंघरू ..
ये सारा जहां ही बहका रे…।।

परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है।


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