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सोचा न था …

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मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

सोचा न था …
सोचा न था कभी बदल जाओगे
फूल की जगह कांटे बन जाओगे।

आहत है यह दिल
मिले तुम्हे अपनी मंजिल।
आंसुओं के समंदर में
गोता लगाती यह जिंदगी
मुबारक हो तुम्हे
मिल गई है तसल्ली।

वक्त है हमेशा की तरह
अपनी रफ्तार में चलता है
दिन और रात का
चक्र चलता ही रहता है।
रात ढलेगा तब सवेरा आएगा
आएगा कल सवेरा आएगा
प्यासे के पास समंदर भी आएगा
राहगीर को राह भी मिल जाएगा।

रोक न पाएगा कोई अनवरत बढ़ता जाएगा
बढ़ता ही जाएगा , सब पीछे छोड़ता जाएगा ….

परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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