Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सोच

श्रीमती अंजू निगम
जाखन, (देहरादून)

********************

मन में प्रचंड उथल-पुथल मची हैं। ऑफिस के माहौल में राजनीति पैठ रही हैं। इसी मनोदशा में, अंधेरे से घिरते कमरे में वह अपने बिस्तर में औधें मुँह पड़ी थी। दीदी ने आकर केवल उसका हाल-चल ही तो लेना चाहा था। पर नेहा को यह दीदी की, अपने जीवन में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी लगी और उसने बड़े-छोटे का लिहाज छोड़ दी को खुब खरी-खोटी सुना दी। तबसे दोनो के बीच अबोला ठना था।
आज नेहा जब इसी मनोस्थिति में घी दानी में घी उलीचने लगी तो काफी घी बाहर फैल गया। उसे ध्यान आया कि दीदी हमेशा कहती कि घी या तेल उलीचते समय नीचे परात लगा लिया करो ताकि घी स्लैब में न फैले और परात में सिमटा रहे। उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती…..

.

परिचय :- श्रीमती अंजू निगम
जन्म : २० अगस्त १९६८
निवासी : जाखन, देहरादून


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *