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वो लम्हें

रचयिता : कुमुद के.सी.दुबे

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वो लम्हें

कल की ही तो बात है!

माँ की ऊंगली थामें
एक बसती हुई
नई बस्ती में आयी थी

खुशी होती थी
ईंट,टीन चद्दर से
नई इमारतों बंगलों के बीच की
खालीजगह पर बनी हमारी टापरी
और रंगीन फट्टे से
बनाई छत देख

रेत के ढेर पर
सखियों संग लोट लगाती
घर बना
सुन्दर सीप शंख
पत्थर चुन सजाती

खोदे ट्यूबवेल का
पानी काॅच की चमक सी
निकली पहली फुहार में
खूब मजे से नहाती

चुल्हा जलाने झाडियों से
सूखी लकडियां लाने
माँ के पीछे पीछे
कुदते फुदकते हो लेती

खाली जमीन मे उग आयी
कटीली झाडियों मे लगे
जंगली फूलों को तोड
गुल्दस्ता बना इतराती फिरती

सामने के बंगले से
स्कूल जाते बच्चे को चुपक चुपकेे तकती
और न जाने की जिद्द पर
उसे रोते देख खुश होती माता पिता द्वारा
मुझे स्कूल न भेजने पर
अपने आप में सुकून पाती

आज,
कई बरस बाद भी
कुछ न बदला सा
लगता है
फर्क इतना भर है कि

आज पति के पीछे-पीछे
हाथ पकडे बिटिया का
अगले पडाव की और
मैं चलती चली जा रही हुं

अपने अतीत को आज
दौडती फुदकती,
अपनी बिटिया में देख रही हुं।
इतने से ही सपने मेरे थे
जो आज बेटी के हैं।

ऐसा लग रहा है
माँ की अंगुली थामे
उन लम्हों के सांथ
मेरा ही स्वरूप है।

लेखिका परिचय :-  कुमुद के.सी.दुबे
जन्म- ९ अगस्त १९५८ – जबलपुर
शिक्षा- स्नातक
सम्प्रति एवं परिचय- वाणिज्यिककर विभाग से ३१ अगस्त २०१८ को स्वैच्छिक सेवानिवृत। विभिन्न सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविता एवं लघुकथा का प्रकाशन। कहानी लेखन मे भी रुची।
इन्दौर से प्रकाशित श्री श्रीगौड नवचेतना संवाद पत्रिका में पाकशास्त्र (रेसिपी) के स्थायी कालम की लेखिका।
विदेश प्रवास- अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस (सन् २०१० से अभी तक)।

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