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अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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रस-रौद्र, करुण
उन क्रूरों ने निर्ममता से
बांट दिया जब घाटी को..
आरी बींचो-बीच धरी और
काट दिया जब बेटी को?तब भी धधके नहीं क्रोध के
हृदय तुम्हारे क्यों शोले?
मौन रहे या टाल दिया,
तब एक सहिष्णु ना बोले?नन्हे-नन्हे बच्चों को जब
वो गोली से भूंज रहे थे?
सत्ता लोलुप चतुर लड़इये
तब विदेश क्यों घूम रहे थे?
‘सर्वानंद या गिरिजा टिक्कू’ की
ख़ातिर मोम नहीं क्यों पिघली?भारत में रहकर डरने वालों! तब
जीभ तुम्हारी विष ना उगली?
आज दर्द पर उनके कुछ
कुर्सी के दम्भी मुस्काते हैं
हँसते नहीं, दरअसल
दैत्यवंशी हैं! जात दिखाते हैं।आखिर क्यों? चीखें उनकी
कान के पर्दे तुम्हारे फाड़ नहीं देतीं?
किसलिए तुम्हारी आँखे उन संग
हुई त्रासदी पर ना रोतीं?
सहमा नहीं कलेजा बोलो
आख़िर क्यों चीत्कारों से..जले नहीं क्यों हाँथ तुम्हारे
जेहादी अंगारों से?????
उस पर भी घावों को उनके
नमक मिर्च का सिला दिया
हत्यारों को देकर दावत
हाँथ उन्हीं से मिला लिया?ना कोई सुनवाई उनकी
उल्टे तोहमत मिलीं अंधाधुंध थीं..
बरस बीत गए इतने कुछ ने
राह तकते न्याय की आँखे मूँद लीं..
अरे भई! कारण क्या है वो अति की
सीमा से अधिक दण्डित हैं?कहीं सिर्फ इसलिए तो नहीं उनमें
अधिकतर काश्मीरी पण्डित हैं?
लाशों का व्यापार मत करो
आतंकियों से प्यार मत करो
अब भी जो डर लगे देश में तो
जा चुल्लू भर पानी में डूब मरो…प्रश्न है रचना नहीं? अभी तक
न्याय नहीं मिला क्या है ये सही?
मैंने लिखकर पढ़ दिया
रटने का समय नहीं है
संवेदना के चंद प्रश्न
काश्मीरी इतिहास नहीं हैइतिहास है इससे ज्यादा वीभत्स,
धीरे-धीरे बतलाऊंगी
जब तक न्याय नहीं होगा
तब तक लिखती जाऊँगी…,छोटे-छोटे बच्चों के
खिलौने छिन गए
पाई-पाई जोड़ बनाए जो,
वो घरौंदे छिन गएकिसी का दोस्त, भाई, प्यार
किसी का श्रृंगार छिन गया
एक जमावड़ा जाकर उन्हें
सिर्फ आंकड़ों में गिन गयाना हुआ उनसे कोई रूबरू,
लुट गई जिन बहनों की आबरू
क्या सही है उन पर हुए
ज़ुल्म से आँखे मूँद लो??
बहुत हुआ, अब न्याय दोबस यही ‘गूँज’ हो
बस यही हर ओर इस
छोर से उस छोर ‘गूँज’ हो
उन्हें न्याय दो बस यही “गूँज” हो…
परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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