Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

काँटों ने महक

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
(मुजफ्फरनगर)

********************

काँटों ने महक दर्द ने आराम दिया है
बोसा जो उसनें आज खुलेआम दिया है

आगोश में शर्मा के वो आयें हैं इस कदर
जैसे की किसी फर्ज़ को अंजाम दिया है

अहसान दर्द का है जो हासिल हूए हमें
मर जाते ख़ुशी से इन्होंने थाम लिया है

साजिश है कोई या मेरे अब दिन बदल गये
दुश्मन ने आज भर के मुझे जाम दिया है

पैमाना जो ख़ाली मेरे लब से लगा रहा
दुनिया ने इसे मयकशी का नाम दिया है

उसनें जो निभाई है मुहब्बत में तिजारत
हमनें भी उसको दाम सुबह शाम दिया है

तुफान बहुत तेज है “शाफिर” जरा संभल
हल्दी सी इक आहट ने ये पैगाम दिया है

.

परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
ग्राम- सौंहजनी तगान
जिला- मुजफ्फरनगर
प्रदेश- उत्तरप्रदेश


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *