Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ये शब्द आईने है

प्रीति जैन
इंदौर (मध्यप्रदेश)

********************

शब्द मन के अमिट
भावों का दर्पण
शब्द ही करते बयां,
भावनाओं का स्पंदन
शब्दों से मिले नफरत,
शब्दों से मिले सम्मान
ये शब्द आईने है,
किरदार करते हैं बयान

शब्दों का कारवां अंतहीन,
शब्द रंगभरे और रंगहीन
फूलों सी खुशबू दे या
कांटों भरे ज़ख्म दे संगीन
करते हैं दिल भी छलनी या
देते खुशियों भरा जहान
ये शब्द आईने है,
किरदार करते हैं बयान

कुछ शब्द आंसू बनकर
दिल में उतरते हैं
कुछ शब्द कानों में
घोले सरगम,
कुछ नश्तर से चुभते हैं
शब्दों की अदावरी से,
दिल में बसे या
दिल से उतरे इंसान
ये शब्द आईने हैं,
किरदार करते हैं बयान

अपने हर शब्द का
खुद तुम आईना बनो
दिल न हो छलनी किसी का,
ऐसे शब्दों को चुनो
शब्द ही जीवन रेखा
संबंधों की,
बोलो तुम मीठी जुबान
ये शब्द आईने है,
किरदार करते हैं बयान

मुझे गर्त में ले जाने वाले,
सर आंखों पर बिठाने वाले
नजरों से औरों की गिराने वाले,
औरों की नजरों में उठाने वाले
मोतियों सा पिरौ लो
शब्दों को, न पड़ने दो गठान
ये शब्द आईने हैं,
किरदार करते हैं बयान

शब्दों ने ही रिश्ते जोड़ें,
और खूबसूरत रिश्ते तोड़े
सादगी से सजा शब्दों को,
ऐ इंसान शब्द क्युं तोड़े मरोड़े
शब्द तलवार से काट देते हैं
सब कुछ, खाली रहेगी म्यान
ये शब्द आईने हैं,
किरदार करते हैं बयान

बड़ा नाज़ुक सा,
मृदु सा है शब्दों का ये खेल
ताकतवर न कोई इन से जैसा,
शब्द कराते मेल
संबंधों को जोड़ती और तोड़ती
अनूठी शब्दों की दास्तान
ये शब्द आईने हैं,
किरदार करते हैं बयान

परिचय :- प्रीति धीरज जैन
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *