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विश्व की ये शक्ति

डॉ. अर्चना राठौर “रचना”
झाबुआ म.प्र.

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बिटियां होतीं प्यारी-प्यारी,
घर की होती हैं फुलवारी।

रंग-बिरंगे फूलों जैसी,
सजती इनसे घर की क्यारी।

मां की होतीं सखी वे प्यारी,
और पिता की राजदुलारी।

जिनके घर जन्मे है बेटी,
उनकी दुनिया हो उजियारी।

मात-पिता की सेवा करतीं,
कभी ना होती उनसे न्यारी।

नहीं किसी से कम है बेटियां,
देख रही ये दुनिया सारी।

जगमग करता है घर इनसे,
रौनक होतीं घर की प्यारी।

ईश्वर की रचना है निराली,
विश्व की ये शक्ति सारी।

परिचय :-
नाम – डॉ. अर्चना राठौर “रचना” (अधिवक्ता)
निवासी – झाबुआ, (म.प्र.)


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