रचयिता : शशांक शेखर
ये राह नहीं है आसान
उन्नीस है जिसका नाम ||
देशभक्ति सुरक्षा सैनिक,
पांच सालों की कार्य शैली,
सब पर भारी है बहत्तर हज़ार,
आदायगी का बस नाम ||
तुम किस मुँह से दुत्कारोगे,
कैसे मुफ्तखोरी नहीं है जायज़,
अब और कहोगे ,
बांटे हैं तुमने भी बहुतेरे चीज़ तमाम. ||
ये राह नहीं है आसान
उन्नीस है जिसका नाम. ||
जहाँ एक ओर बैठे हैं ठेगेरे बहुतायत आम
वहीं तुम्हारे तालाब में भी मछलियाँ हो रही हैं खराब.
अब कदम बस इतना उठा दो
नोटबन्दी की भांति
एक रात से
सारे नेताओं की सुविधाओं पर
एक सर्जिकल स्ट्राइक करा दो.
कहते हो
मेरा देश
मेरे दल,
परिवार और मुझसे आगे है
तो फिर मोह को तोड़ दो
और कलंकितों को संसद विहीन कर दो
ना आए पुनः सरकार तुम्हारी गम नहीं
वादे नहीं हुए पुरे गम नहीं
दुर्गतरेते की तरह सड़क से
संसद तक कोई न हो दागी भ्रष्टाचारी
दूर हो भारत से यह बीमारी
फिर हम कहें
ऐसी सरकार आयी जिसने भारत को किआ उदयीमान
अभी तो सिर्फ है हम प्रभात के नव बिहान
बना दो हमें शरद दिवा के मनोहर दहकते सूरज
जैसे हो जेठ के पूनम का चाँद
ये राह नहीं है आसान ||
लेखक परिचय :– आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है।
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