Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

है लालसा यही अब मेरी

आचार्य राहुल शर्मा
फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)

********************

लावणी छंद में कविता

है लालसा यही अब मेरी ..
बादल बनकर बरसूँ मैं।
सबके ताप हरण मुझसे हों ..
सेवा करके हरसूँ मैं।।
मेढक मोर पपीहा खुश हों ..
देख मुझे ही झूम उठें।
धरती की मैं प्यास बुझाऊँ..
माथा मेरा चूम उठें।। १

सावन का बादल बन जाऊँ..
रिमझिम-रिमझिम बरसूँ मैं।
गीला कर दूँ सूखे को यूँ..
मौसम ठंडा करदूँ मैं।।
मैं भी सागर से जल लेके..
आऊँ-जाऊँ सावन में।
मेरा भी मन मीत खड़ा हो..
मुझको देखे आँगन में।। २

पानी के बिन सूना सूना..
जीवन मरता रहता है।
मेढक अपनी बोली बोले..
मोर पपीहा कहता है।।
पलता जीवन सब जीवों का..
बादल जल बरसाते हैं।
आमों पर बैठे तोते भी …
मीठू मीठू गाते हैं।। ३

मैंने एक लालसा पाली ..
बादल बनना मुझको है।
नभमंड़ल में उड़ता जाऊँ..
दृश्य देखना मुझको है।।
बादल भी सेवा करते हैं..
बारिश से जाना मैंने।
बादल के गीतों को गाके..
बादल बन ठाना मैंने।। ४

परिचय :-  आचार्य राहुल शर्मा
निवासी : फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *