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यह है जिन्दगी

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रचयिता : मनोरमा जोशी

प्यास की दास है जिन्दगी
तल्ख आभास है जिन्दगी।
दर्द की गीत गाती हुई जिन्दगी।
एक अभ्यास है जिन्दगी,
भाष्य में व्याकरण की तरह,
वाक्य विन्यास है जिन्दगी।
मन विधा के लिये सर्वदा,
स्वच्छ आकाश है जिन्दगी।
द्धन्द को मत समर्पित करो,
एक महाराज है जिन्दगी।
हमको लगती है सायास ये,
कब अनायास है जिन्दगी।
लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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