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ये कोरोना बीमारी

विरेन्द्र कुमार यादव
गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)
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ये कोरोना बीमारी जो बनी महामारी,
केवल मनुष्य पर क्यों पड़ रही भारी।
इसके जन्म की व्यक्ति है जिम्मेदार,
कोरोना इसलिए व्यक्ति को रहा मार।
क्यो? जीव-जन्तु नहीं हो रहा बीमार,
व्यक्ति स्वयं इस बीमारी का शिकार।
इसमें क्या करे इस सृष्टि के रचनाकार,
व्यक्ति स्वयं है बीमारी का जिम्मेदार।
जब व्यक्ति कन्द, मूल व फल खाये,
हर व्यक्ति हर वर्ष एक पौधे लगाये।
इसके बदले में शीतल मंद हवाएँ पाये,
सुखी व आनन्दमय वो जीवन बिताये।
पीपल, आम, महुआ का पौधा लगाये,
स्वादिष्ट, मीठे व ताजे-ताजे फल खाये।
अब ज्यादा से ज्यादा लोग खाये गोश,
इस बीमारी का दे किसको हम दोष।
वातावरण में व्यक्ति ने प्रदूषण फैलाये,
व्यक्ति खुद जीवन में बीमारी है लाये।
लगा है जल्दी से करोड़पति बन जाये,
दुनियाँ के सबसे धनी व्यक्ति हो जाये।
हाय रे पैसा हाय! रे हाय! हाय!
तुने व्यक्ति को ये कैसे दिन लाये,
स्वयं कर्मो से कोरोना बीमारी लाये।
व्यक्ति इससे रहे अपनी जान गवाय,
जग पूछे इसका जिम्मेदार कौन भाय।
ये कोरोना क्यो नहीं रहा जल्दी जाय,
समाजिक दूरी को लो सभी अपनाय।
हाथो को चार-पाँच बार धोते रहे भाय,
मास्क मुह-नाक पर आप लो लगाय।
दूध में लो थोड़ा-सा हल्दी को मिलाय,
एंटीवायटिक अप स्वत:लो घर बनाय।
अपनी एमुनीटी पावर लो खुद बढ़ाय,
भीड़ में जाने से अपने को लो बचाय।
कोरोना रहे आपसे हमेशा टाटा बाय,
कोरोना रहे आपसे हमेशा टाटा बाय।

परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव
निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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