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ये साँसे उड़ना चाहती है

ये साँसे उड़ना चाहती है।

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रचयिता : ईन्द्रजीत कुमार यादव

ये साँसे उड़ना चाहती है।
कोई तो बताए फ़ितूर को ये सफ़र और कितना लंबा है,
और क्या-क्या झोंकु इस लड़ाई में जो अब तक जिंदा है,
ठिठुर गया हुँ तेरे दहशत से ऐ जिंदगी अब तो मुझे माफ़
कर , ये सांसे उड़ना चाहती है जो तेरे पिंजरे का परिंदा है।
एक कहानी इस दरख़्त का जो लब पे आते-आते रेह जाता है,
वो यादों का कारवाँ जो गुजरता है उल्फत के राहों से,अब कहाँ
मुझे सुलाता है, ये लब जब से सिले हैं कैसे बताऊं तुझे की हम
कैसे जिंदा हैं, ये सांसे उड़ना चाहती है जो तेरे पिंजरे का परिन्दा है।
ये धर धरा पर शून्य शिथिल जब हो जाता है, मिठी नींदों में कोई
दुःस्वप्न बो जाता है, कुछ बातें अब भी बाकी है जो शायद इन बयारों
को मालूम है, सदियों से भी लम्बे इन लमहों में न जाने क्यों कोई अब
तक जिंदा है, ये सांसे उड़ना चाहती है जो तेरे पिंजरे का परिन्दा है।

 

लेखक परिचय :- 
नाम : ईन्द्रजीत कुमार यादव
निवासी : ग्राम – आदिलपुर जिला – पटना, (बिहार)

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