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एक दिन ज़रूर होगा

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा।
मेरे अपनो को भी मुझ पर बेइंतहा गुरुर होगा।

उड़ने की कोशिश में हूँ बिना पंखों के आसमान में,
हौसलों ने दिया साथ तो छा जाऊंगा जहान में,
मेरी नज़्म का एक दिन, तुम्हारे होठों पर सुरूर होगा…

ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा।

चलता ही रहता हूँ अपनी मंज़िल की तलाश में,
आलोचक बहुत है मगर होता नही निराश में,
देखना एक दिन आयेगा, जब दामोदर मशहूर होगा…

ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा।

कोई कहता है तू तो पागल हो गया है,
ना जाने कोनसी दुनिया मे तू खो गया है,
ये तो मेरा ख़्वाब है, कोई दौलत नही जो गुरुर होगा…

ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा।

सर्वरस धारा का एक दरिया है ये,
दिल की बात कहने का ज़रिया है ये,
मैं तो यूँ ही लिखता रहूंगा, अगर तुम्हे मंजूर होगा…

ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है। गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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