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होते हैं बहुत रगं सनम

बबली राठौर
पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.)

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जिन्दगी में तो वक्त के
होते हैं बहुत रगं सनम
कभी गम के, कभी खुशियों के
होते हैं बहुत रगं सनम

मेरे जख्मी दिल के घाव
पढ़कर तुम कभी तो देखो
कभी दर्द तो आँखों में टूटे
ख्वाबों के होते हैं बहुत रगं सनम

कैसे-कैसे तूफां को हमने
थामा है जीवन में ओ खुदा
कभी-कभी अपने अरमानों के
पंखों के होते हैं बहुत रगं सनम

जिन्दगी को कोई खिलौना
समझे कैसे हैं नादान लोग
कभी रंगीन फिजा उस तबाही के
होते हैं बहुत रगं सनम

रात पहरों में बदलती है शमा,
परवानों तुम तो कुछ समझो
कभी जिन्दगी के भी हसीन
लम्हों के होते हैं बहुत रगं सनम

परिचय :- बबली राठौर
निवासी – पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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