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फिर कोई …

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
(मुजफ्फरनगर)

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फिर कोई इंतजाम हो जाए
झुक के उनको सलाम हो जाये

मौत के खेल में कुछ ऐसा हो
ज़िंदगी महंगे दाम हो जाये

छोड़ो खुशियों को आगे जाने दो
गमों का एहतराम हो जाये

वो पियें तो शौक है उनका
मैं पियूं तो हराम हो जाये

यहाँँ जो है सब खुदा का है
चलो एक एक जाम हो जाये

अभी ठहरा हूँँ आ गले लग जा
सफर न यूं ही तमाम हो जाये

हमें आजमानेंं वो आयें “शाफिर”
और अपना भी काम हो जाये

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लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
ग्राम- सौंहजनी तगान
जिला- मुजफ्फरनगर
प्रदेश- उत्तरप्रदेश


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