Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

धारा विचलित गगन विचलित है

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

********************

धरा विचलित लगन विचलित है,
मालिक अब संभालो तुम।
तुम्हारी ही ये लीला है,
इसे थामो बचालों तुम।।

तुम्हारे वश में मृत्यु है,
जीवनधन तुम्हारा है।
ये तुमको है पता फिर क्यों,
नजर से ही उतारा है।।
कोरोना के विषाणू से,
हमें क्यों यूँ डराते हो।
किया क्यों घरमें सबको बंद,
खूँ आंसू रूलाते हो।।
तुम्हारे थे तुम्हारे हैं,
दयालु, देखोभालो तुम।
तुम्हारी ही ये लीला है,
इसे थामो बचालो तुम।।

कोई पत्ता नहीं हिलता न,
हो मर्जी तुम्हारी तो।
इशारा दो हवा हो जाए,
मौला ये बीमारी तो।।
ना माथे का मिटे सिंदूर ,
ना गोदी ही सूनी हो।
ना छीने जाएं घर हमसे,
न ये तकलीफ दूनी हो।।
तुम्हारी शरणागत दुनिया,
हमें भी तो निभालो तुम।
तुम्हारी ही ये लीला है,
इसे थामो बचालो तुम।।

यकीनन राज कोई इसमें,
है जिसको तुम्ही जानों।
है अच्छा क्या बुरा क्या है,
इसे भी तुम ही पहचानों।।
करम अपनी करीमी से ही,
तुम कर सकते दाता हो।
“अनंत” दुख तुम्हीं हरते हो,
प्यारे सुख प्रदाता हो।।
तुम्हीं पीड़ा को पी सकते,
दवा कोई निकालो तुम।
तुम्हारी ही ये लीला है,
इसे थामो बचालो तुम।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *