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कहानी नही बदली

रीमा ठाकुर
झाबुआ (मध्यप्रदेश)
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सिदूंर का रिश्ता है,
निभा रही हूँ हर जनम,!
तुम्हारा मेरा रिश्ता है,
जो टूटता नही भरम!!

ये एक पल का बंधन नही,
न कमजोर है, डोरी!
दिलो मे जो, मजबूती से,
पनपी है मजबूत है कोरी!!

न डर किसी का, अब है,
कितनी मिली शिकस्त!
बदनाम खूब किया मगर,
बदली न, मुहब्बत।।

बुत के यहाँ सब है,
बुत परस्त लोग!
बदला है, बस जमाना,
नियत नही बदली!!

इल्जाम लगाते रहे,
बैगरत, से लोग!
कितने, मिले सफर मे ,
मेरी चाहत नही बदली!!

सैर पर निकले थे,
तलाशने, जिन्दगी!
जिदंगी तो रुठी रही
कहानी नही बदली!!

परिचय :- रीमा महेंद्र सिंह ठाकुर
निवासी : झाबुआ (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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