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नदी बहती नहीं, है कुछ कहती

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श्याम सुन्दर शास्त्री
(अमझेरा वर्तमान खरगोन)

नदी बहती नहीं,
है कुछ कहती
शब्द बोलते नहीं,
है आपका दिमाग तौलते
बिल्ली रास्ता काट,
काटती है आपका अपशकुन।

मुसीबत है आती
अकेली नहीं,
सफलता का मार्ग
लाती है साथ अपने।
मुहावरे का मतलब,
नहीं मुंह आवारा
वह तो गागर में है
सागर सारा।

कहावत नहीं है
कोई शिकायत,
वह तो है
जन की हिफाजत ।
एक चना भाड़ फोड़ता नहीं,
चिंगारी की आग का
नहीं मोल।

दोस्त,दुश्मन से बड़ा होता है,
हर काम में आगे खड़ा होता।
अपनी लकीर बढ़ी है करना,
प्रगति के पथ पर है चलना।
प्रकृति के अनुशासन
को स्वीकार करे
वसुधैव कुटुंबकम् को
अंगीकार करे
स्वालंबन ही है जीवन,
निज पथ में कुछ करें समर्पण ….

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लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,)
मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन
शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित
रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि …


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