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मुलाकात वफ़ा का वादा हैं

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जीत जांगिड़ सिवाणा

मुलाकात वफ़ा का वादा हैं तो ये वादा हम निभाएंगे,
तुम रखना हमको याद चांद हम लौटकर फिर आएंगे।
मुश्किलें ये छंट जाएगी जो हैं दूरियां मिट जाएगी,
इस जहां की हर फिज़ा अपनी हिकायत गाएगी,
पायाब है ये परेशानियां साथ में चल कर पार जाएंगे,
तुम रखना हमको याद चांद हम लौटकर फिर आएंगे।
लाल गुल गुलाल से हम तेरे आंगन को सजाएंगे,
दीपों की माला से रोशन द्वार झरोखे करवाएंगे,
अब की ईद दीवाली और होली तेरे घर पे ही मनाएंगे,
तुम रखना हमको याद चांद हम लौटकर फिर आएंगे।
नेक इरादे हैं लिए हम उसकी रहमत जरूर होगी,
तिश्ना हैं मगर सबनम की बूंदों की हसरत नहीं होगी,
हम सातक सी लियें है हस्ती बारिश से प्यास बुझाएंगे,
तुम रखना हमको याद चांद हम लौटकर फिर आएंगे।
हिन्दी वतन के वासी हैं हम मजबूत इरादों वाले हैं,
ठोकरों के सदा सहचर है कभी न डिगने वालें है,
इन नफरत के जरासिमों का हम ही मर्ज मिटाएंगे,
तुम रखना हमको याद चांद हम लौटकर फिर आएंगे।
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लेखक परिचय :- जीत जांगिड़ सिवाणा

निवासी – सिवाना, जिला-बाड़मेर (राजस्थान)

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