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पहाड़

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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पेड़ों की पत्तियां झड़ रही
मद्धम हवा के झोकों से
चिड़िया विस्मित चहक रही
मद्धम खुशबू से
हो रहे पहाड़ के गाल सुर्ख
पहाड़ अपनी वेदना किसे बताए
वो बता नहीं पा रहा
एक पेड़ का दर्द
लोग समझेंगे
बेवजह राइ का पर्वत
पहाड़ ने पेड़ो की
पत्तियों को समझाया
मै हूँ तो तुम हो
तुम ही तो कर रही
मौसम का अभिवादन
गिरी नहीं तुम बिछ गई हो
और आने वाली नव कोपलें
जो है तुम्हारी वंशज
कर रही आने इंतजार
कोयल मीठी राग अलाप
लग रहा वादन शहनाई का
गुंजायमान हो रही वादियाँ में
गुम हुआ पहाड़ का दर्द
जो खुद अपने सूनेपन को
फूलों की चादर से ढाक रहा
कुछ समय के लिए
अपना तन…

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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