Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जाम लब से छलकता नही है

************

रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी

मैकदों भूल जाओ मुझे तुम
जाम लब से छलकता नही है
तेरी आँखों में अब प्यार हमदम
पहले जैसा झलकता नही है
यूँ बग़ीचे में हैं फूल इतने
कोई तुझसा महकता नही है
तुम मुझे याद आते नही हो
अब मेरा दिल धड़कता नही है
पहले थी कुछ ख़यालों की उलझन
फ़र्क़ अब मुझको पड़ता नही है
बारिशों में जो ख़ुशबू थी पहले
अब वो बादल बरसता नही है
से सबा उससे जा कर के कहना
तेरा आशिक़ तड़पता नही है
मैं उसे याद करता नही हूँ
वो भी मुझमें उलझता नही है
यूँ ग़ज़ल मैंने कहली है लेकिन
हाथ मेरा बहकता नही है
वो सफ़र से परिशाँ है लेकिन
हमसफ़र साथ रखता नही  है
यूँ ‘मूनीब’ उससे दूर होगए हम
वो निगाहों में जंचता नही है।
लेखक परिचय :
नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी
उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि
मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)।

निवासी :- मुजफ्फरपुर

कविता में पुरस्कार :-
१: राष्ट्रीय साहित्य सम्मान
२: सलीम जाफ़री अवार्ड
३: महादेवी वर्मा सम्मान
४: ख़ुसरो सम्मान
५: बाबा नागार्जुना अवार्ड
६: मुनीर नियाज़ी अवार्ड

आने वाली किताबें :-
१: माँ और मौसी (उर्दू और हिंदी ग़ज़ल)
२: रिदम की दुनिया (अंग्रेजी कविता)
३: भूत नाथ रिटर्न (अंग्रेजी उपन्यास)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर कॉल करके सूचित अवश्य करें … और अपनी खबरें, लेख, कविताएं पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com सर्च करें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और खबरों के लिए पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *