Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बेघरों की बेबसी व कोरोना की त्रासदी

नरपत परिहार ‘विद्रोही’
उसरवास (राजस्थान)

********************

नन्हा मुन्ना पापा से कहता है।
अपना आशियाना किधर हैं?
पापा हौसला दे कहता, बेटा
ये आ गया उधर.. उधर हैं।

शीघ्र दो कदम बढा़ता उधर हैं।
फिर पुछता पापा, शायद कहता है!
भूख लगी है पापा,
अब ओर कितना दूर हैं?
पर पापा निःशब्द हैं,
कैसे कहे? कि अभी कोसो दूर है।

सोचता हूँ कब उसकी
भूख शांत होगी?
इन मासूमों को
प्यास भी लगी होगी।
कैसे बसेरा होगा?
घनघोर अँधियारी रातें भी होगी।

यूँ चलते कब?
आशियाने की दूरी पार होगी ।
वो क्या जाने?
ये कोरोना त्रासदी हैं।
हम भारत देश की आबादी हैं
या इस देश के मिट्टी की गरीबी हैं।

चलता डगर-डगर पर
कोई नहीं कहता,
ये अपना करीबी हैं।
तब विद्रोही कहता हैं,
क्या ये भारत देश की मज़बूरी थीं ?

जो सत्तर सालों से
पडी़ दीवारों के परिधानों में।
साहित्य-शास्त्रों में,
विश्वगुरु के परिवेशों में।
राजनीतिक खिलाडि़यों
की फुटबाॅल बनीं।
सडी़-गली गंगा-यमुनों के मैदानों में ।।

सुना हैं भारत
धन-कुबेरों का देश हैं
साधु-संत व
ऋषि-मुनियों का परिवेश हैं।

तो फिर इस गरीबी का
क्या गणवेश है?
क्यों इतनी कारुणिक
उदासीनता दिखाता अपना देश हैं।
हे! कुदरत ऐसा हमारा क्या कसूर हैं ?
जो इस तरह बेघर करने को मज़बूर हैं।
कुछ तो रहम कर, हम भारत देश के बाशिन्दे हैं।।

.

परिचय :- नरपत परिहार ‘विद्रोही’
निवासी : उसरवास, तहसील खमनौर, राजसमन्द, राजस्थान


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *