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श्रीराम के गुणगान की महिमा

आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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चलो श्रीराम के गुणगान की महिमा सुनाते हैं
समर्पण और भक्ति की नई गाथा सुनाते हैं
सिया संग जंगलों में जो भटककर धर्म पर चलते
उसी युगपुरुष के चरणों में यह कविता सुनाते हैं

अनुज लक्ष्मण की भातृ भक्ति को दुनियां समझती है
लखन के त्यागमय उस शक्ति को दुनियां समझती है
सिया और राम के चरणों में उनका जो समर्पण था
मधुर उस प्रेम की अभिव्यक्ति को दुनिया समझती है

निशाचर मुक्त करके जो सदा संतो को तारे हैं
जो दशरथ और माता कोशिला के भी दुलारे हैं
शरण में जो चला जाता है उसको थाम लेते हैं
वही श्री राम जी मेरे हृदय में प्राण प्यारे हैं

किये लंका दहन जो राक्षसों को दंड देकर के
विभीषण को भगति के पुष्प का मकरंद देकर के
अयोध्या वासियों के साथ खुशियां जो मनाए थे
दुखों से व्याप्त भक्तों को नया आनंद दे कर के

परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य)
लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि
विशेष : आध्यात्मिक प्रवक्ता एस्ट्रोलॉजर
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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